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Showing posts from August, 2023

नागपंचमी

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 नागपंचमी : सांप और हम / सांपों के साथ हम मनुष्यों का रिश्ता बहुत विचित्र रहा है। वह एक साथ हमारे लिए डर का पर्याय भी है और श्रद्धा का पात्र भी। हमारे देश में हर साल हजारों लोग सर्पदंश से मरते हैं। हमारे डर और गुस्से का शिकार होकर हर साल लाखों सांप भी हमारे हाथों मारे जाते हैं। दूसरी तरफ सांपों के प्रति श्रद्धा इतनी कि हमने उन्हें भगवान शिव के गले से लेकर भगवान विष्णु की शैय्या तक पर जगह दी। हर वर्ष नागपंचमी में वास्तविक सांपों या घर की दीवारों पर गोबर से सांपों की अनुकृति बनाकर उन्हें पूजने की प्रथा भी हमारी ही संस्कृति का हिस्सा है। सांपों को दूध पिलाने की अवैज्ञानिक प्रथा भी जाने कबसे चलती आ रही है। हमारे लोकमानस में मणिधारी और मनुष्य के रूप धारण कर अपने जीवनसाथी की हत्या का बदला लेनेवाले इच्छाधारी नाग-नागिनों की कथाएं रची-बसी हैं। हमने दादी- नानी के मुंह से सांपों की कितनी ही रहस्यमय कथाएं सुनी होंगी। फिल्में और टीवी सीरियल भी देखी हैं। मेरा अपना बचपन तो सांपों के आश्चर्य के साये में ही बीता था। हमारे मिट्टी के घर में अक्सर सांप निकलते थे। खपड़ैल की छत से भी टपक पड़ते थे। कभी बि...

मॉल और मेले

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मेले से ली गई तस्वीर  इन दिनों नोएडा और दिल्ली के बड़े-बड़े मॉल में घूमते-फिरते फैशनेबल और गर्वोन्नत स्त्री-पुरुषों की भीड़ देखकर अपने देशी मॉल अर्थात गांव-देहात के मेलों की याद आ रही है। वे मेले जहां ज़रूरत की सभी चीजें, श्रृंगार प्रसाधन, मनोरंजन और पेट पूजा की सामग्री एक ही जगह मिल जाती थी। दाम कम और मोल-भाव की पूरी गुंजाइश। हमारे लोकजीवन और संस्कृति के विविध रंगों और खुशबू से भरे गांव-देहात के इन मेलों की सरलता और जीवंतता विकास की तेज रफ्तार की भेंट चढ़ रही है। यह सही है कि मॉल संस्कृति और मार्केटिंग के नए और आसान तरीकों के ईजाद के बाद इनकी प्रासंगिकता अब पहले जैसी नहीं रह गई, मगर एक मामले में तो इनकी उपादेयता हमेशा ही बनी रहेगी। यदि कुछ देर के लिए आप मन से आभिजात्य की धूल झाड़कर अपनी जड़ों की ओर लौट चलना चाहते हैं तो कभी ऐसे मेलों के चक्कर लगा आईए ! जीवन भर की अर्जित छवि को ताक पर रखिए और मेले की किसी फुटपाथी दुकान की बेंच कर बैठकर मुढ़ी-पकौड़ी या गरमागरम जलेबियां खाईए ! कुल्हड़ की चाय पीजिए ! मेले से बीवी के लिए चोटी, रिबन, चूड़ियां, टिकुली-सिंदूर और बच्चों के लिए हवा मिठाई खरीद लीजिए ! ...

पेंटिंग से भूत निकलता है और डराता है

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 पेंटिंग से भूत निकलता है और डराता है / (आज अखबार 'अमर उजाला' की कवर स्टोरी में प्रेतात्माओं के शास्त्र, विज्ञान, अद्यतन शोध पर आधारित मेरा आलेख ) यह घटना इसी अगस्त महीने के पहले सप्ताह की है।ब्रिटेन के लंदन शहर में स्टेफी नाम की एक लड़की चौरिटी शॉप से एक अनजान कलाकार की एक पेंटिंग खरीदकर घर पहुंची। पेंटिंग में लाल रंग की ड्रेस पहने एक लड़की थी। उसके चेहरे और आँखों में घबराहट थी। स्टेफी ने पेंटिंग को एक दीवार पर टांग दिया। रात भर उसे महसूस होता रहा कि डरावनी लड़की फ्रेम से निकलकर उसका पीछा कर रही है। उसने जैसे-तैसे रात गुजारी और अगले दिन पेंटिंग को चैरिटी शॉप के मैनेजर को वापस कर दिया। चैरिटी शॉप ने इसे स्टेफी का अंधविश्वास मानकर पेंटिंग दूसरे खरीदार माइकल को बेच दी। माइकल के साथ भी वैसा ही हुआ और उसने डरावनी बताकर पेंटिंग वापस कर दी। अब चैरिटी शॉप पर इस पेंटिंग को खरीदारों के लिए इस चेतावनी के साथ रखा गया है कि यह पेंटिंग आपको डरा सकती है। दुनिया की तमाम आस्थाओं, धर्मों, संस्कृतियों, रीति-रिवाजों, साहित्य और लोकगाथाओं में कुछ ऐसी रहस्यमय और तर्क से परे चीज़ें हैं जिन्हें हमने देख...